The Basic Principles Of sidh kunjika
The Basic Principles Of sidh kunjika
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सां सीं सूं सप्तशती देव्या मन्त्रसिद्धिं कुरुष्व मे ॥ १३ ॥
देवी वैभवाश्चर्य अष्टोत्तर शत नाम स्तोत्रम्
पाठमात्रेण संसिद्ध्येत् कुञ्जिकास्तोत्रमुत्तमम् ॥ ४ ॥
ऐङ्कारी सृष्टिरूपायै ह्रीङ्कारी प्रतिपालिका ।
देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति द्वादशोऽध्यायः
देवी वैभवाश्चर्य अष्टोत्तर शत नाम स्तोत्रम्
देवी वैभवाश्चर्य अष्टोत्तर शत नामावलि
देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति षष्ठोऽध्यायः
श्री सरस्वती अष्टोत्तर शत नाम स्तोत्रम्
धिजाग्रं धिजाग्रं त्रोटय त्रोटय दीप्तं कुरु कुरु स्वाहा॥
This Mantra holds great importance In terms of attaining a blissful psychological state and spiritual advancement.
देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति पंचमोऽध्यायः
Along with the dread of not getting is born in that Area. But in meditation, when This really is recognized, the head can enter into a dimension of Area where motion is inaction. We have no idea what adore is, for within the House produced by considered close to itself given that the me, enjoy is definitely the conflict with the me as well as the not-me. This conflict, this torture, isn't like. Imagined will be here the pretty denial of affection, and it can't enter into that House in which the me is not. In that Place will be the benediction which male seeks and cannot find. He seeks it in the frontiers of thought, and imagined destroys the ecstasy of the benediction."
सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का पाठ परम कल्याणकारी है। सिद्ध कुंजिका स्तोत्र आपके जीवन की समस्याओं और विघ्नों को दूर करने के लिए एक शक्तिशाली उपाय है। मां दुर्गा के इस स्तोत्र का जो मनुष्य विषम परिस्थितियों में वाचन करता है, उसके समस्त कष्टों का अंत होता है। प्रस्तुत है श्रीरुद्रयामल के गौरीतंत्र में वर्णित सिद्ध कुंजिका स्तोत्र। सिद्ध कुंजिका स्तोत्र के लाभ